Jul 31, 2013

स्वरांजलि ..'अपनी आँखों में बसा कर..'


आज हरदिल पसंद  रूहानी आवाज़ के मालिक गायक रफ़ी साहब की ३३ वीं  पुण्यतिथि  है .
उन्हें याद करते हुए मैं अपनी ओर  से यह स्वरांजलि भेंट करती हूँ.रफ़ी साहब की  आवाज़ उनके गीतों के ज़रिये आज भी हमारे आस-पास उनकी मौजूदगी बताती है .
उनका गाया हुआ यह गीत मुझे बहुत पसंद हैं,रफ़ी साहब के बेहतरीन प्रेम-गीतों में से एक लगता है.
जितनी बार भी सुनो हमेशा नया सा लगता है ...


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-कवर संस्करण - स्वर -अल्पना

गीत-अपनी आँखों में बसा कर
फ़िल्म-ठोकर
मूल गायक -रफ़ी
संगीतकार--श्याम जी घनश्याम जी
गीतकार -साजन देहलवी


अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करूँ
जी में आता है कि जी भर के तुझे प्यार करूँ
अपनी आँखों में बसाकर कोई इक़रार करूँ

१-मैं ने कब तुझ से ज़माने की ख़ुशी माँगी है
एक हलकी सी मेरे लब ने हँसी माँगी है
सामने तुझ को बिठाकर तेरा दीदार करूँ
जी में आता है कि जी भर के तुझे प्यार करूँ
अपनी आँखों में बसाकर कोई इक़रार करूँ

२-साथ छूटे न कभी तेरा यह क़सम ले लूँ
हर ख़ुशी देके तुझे तेरे सनम ग़म ले लूँ
हाय, मैं किस तरह से प्यार का इज़हार करूँ
जी में आता है कि जी भर के तुझे प्यार करूँ
अपनी आँखों में बसा कर कोई इक़रार करूँ.
film Thokar (1974) original singer- Rafi
Music: Shamji Ghanshamji
Lyrics: Sajan Delvi
Raga: Bhairavi
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